top of page

शायर।

पागल की लोचन मे क्लांति,

दुनीया की बेचैनी का हलफ़नामा है।


आतुर मानव, आज़ रुकता कंहा है?

समकालिन दुनिया, कोइ तोलता कंहा है?

जिज्ञासा लोगो की शब्दो मे,

रंगीन कपड़ो मे काले रंग सा अस्पष्ट है।


शब्दो का जाला कोइ बुनता कंहा?

अकार, रंगो, को शब्द देता कोइ, कंहा?


प्रकृति की लत अब लगती किसको है?

लोचन से शब्द, अब दिखता किसीको कंहा?


पीड़ित, प्रेमी, खोया कंहा?

लोगो का शायर गया कंहा?



-Emanuel

44 views0 comments

Recent Posts

See All

Comments


bottom of page